भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 29 जनवरी 2025 को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से अपनी 100वीं ऐतिहासिक लॉन्चिंग को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। इस मिशन के तहत GSLV-F15 रॉकेट ने NVS-02 नेविगेशन सैटेलाइट को सफलतापूर्वक कक्षा में स्थापित किया। इस मिशन से भारत के स्वदेशी NavIC (Navigation with Indian Constellation) प्रणाली को और अधिक सशक्त किया जाएगा।
GSLV-F15 मिशन की मुख्य बातें
🔹 रॉकेट: यह GSLV (Geosynchronous Satellite Launch Vehicle) का 17वां मिशन था और इसरो द्वारा विकसित क्रायोजेनिक इंजन का उपयोग करने वाला 11वां प्रक्षेपण था।
🔹 सैटेलाइट: NVS-02 लगभग 2,250 किलोग्राम वजनी एक आधुनिक नेविगेशन उपग्रह है, जिसे NavIC प्रणाली को और अधिक सटीक बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
🔹 कक्षा: सैटेलाइट को Geosynchronous Transfer Orbit (GTO) में स्थापित किया गया, जहाँ से यह अपनी अंतिम भूस्थिर कक्षा में पहुंचेगा।
🔹 नेविगेशन सिस्टम: यह सैटेलाइट L1, L5 और S बैंड में नेविगेशन सिग्नल भेजेगा, जो भारतीय क्षेत्र और आसपास के 1,500 किमी तक की दूरी को कवर करेगा।
NavIC प्रणाली क्यों महत्वपूर्ण है?
NavIC, भारत का स्वदेशी सैटेलाइट नेविगेशन सिस्टम है, जो अमेरिका के GPS, रूस के GLONASS और चीन के BeiDou जैसी वैश्विक नेविगेशन प्रणालियों के समकक्ष है। इसका उपयोग सैन्य और नागरिक दोनों उद्देश्यों के लिए किया जाता है।
✅ सटीक लोकेशन डेटा - NavIC, मोबाइल डिवाइस, ट्रांसपोर्ट सिस्टम और समुद्री नौवहन में अधिक सटीकता प्रदान करता है।
✅ आपदा प्रबंधन - भूकंप, सुनामी जैसी आपदाओं के दौरान सटीक लोकेशन और राहत कार्यों में मदद करता है।
✅ सुरक्षा और सैन्य उपयोग - भारतीय सशस्त्र बलों को निर्बाध और सुरक्षित नेविगेशन सेवा प्रदान करता है।
✅ कृषि और ट्रांसपोर्ट - किसानों और ट्रांसपोर्ट कंपनियों को उन्नत स्थान-आधारित सेवाएँ मिलती हैं।
भारत के अंतरिक्ष मिशनों में एक और ऐतिहासिक उपलब्धि
इसरो का यह 100वां लॉन्च भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक और बड़ा कदम है। यह मिशन भारतीय वैज्ञानिकों की क्षमता और तकनीकी प्रगति को दर्शाता है। आने वाले समय में इसरो के कई और महत्वपूर्ण मिशन जैसे चंद्रयान-4, गगनयान और आदित्य-L2 भारत की अंतरिक्ष शक्ति को और मजबूत करेंगे।
