RBI ने घटाया Repo Rate: अर्थव्यवस्था को मिलेगी नई रफ्तार

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नई दिल्ली, 7 फरवरी 2025: भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने आज अपने मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक के बाद रेपो रेट में 25 आधार अंक (0.25%) की कटौती कर इसे 6.25% कर दिया है। यह फैसला पिछले पांच वर्षों में पहली बार लिया गया है, जिसका मुख्य उद्देश्य आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देना और महंगाई दर को नियंत्रण में रखना है।

By. RBI Repo Rate

रेपो रेट कटौती क्यों की गई?

आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि हाल के महीनों में महंगाई दर में गिरावट देखी गई है, जिससे केंद्रीय बैंक को यह कदम उठाने का अवसर मिला। इसके अलावा, भारत की जीडीपी वृद्धि को और तेज़ करने, नौकरियों के अवसर बढ़ाने और बाज़ार में तरलता बनाए रखने के लिए यह निर्णय लिया गया। विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला आम जनता और कारोबारियों के लिए फायदेमंद साबित होगा।

रेपो रेट कटौती का असर

रेपो रेट में कटौती के चलते कई सेक्टरों में बदलाव देखने को मिल सकते हैं। इसका प्रभाव निम्नलिखित क्षेत्रों में पड़ेगा:

  1. ब्याज दरों में कमी: बैंक अब सस्ते दरों पर लोन देंगे, जिससे होम लोन, ऑटो लोन और पर्सनल लोन सस्ते होंगे। इससे रियल एस्टेट और ऑटोमोबाइल सेक्टर में तेजी आने की उम्मीद है।

  2. शेयर बाजार में उछाल: रेपो रेट में कटौती की घोषणा के तुरंत बाद, बीएसई सेंसेक्स और एनएसई निफ्टी में तेजी देखी गई। विशेष रूप से बैंकिंग, ऑटो और रियल एस्टेट सेक्टर की कंपनियों के शेयरों में उछाल आया।

  3. उद्योगों को बढ़ावा: सस्ते कर्ज़ के कारण छोटे और मध्यम उद्योगों (MSME) को फायदा होगा, जिससे देश में निवेश और उत्पादन बढ़ेगा।

  4. रुपए की मज़बूती: विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम घरेलू मुद्रा को मज़बूत कर सकता है, जिससे आयात महंगा नहीं होगा और विदेशी निवेश में भी इजाफा हो सकता है।

आम जनता को कैसे होगा फायदा?

रेपो रेट कटौती का सबसे बड़ा लाभ आम लोगों को मिलेगा। यदि बैंकों द्वारा ब्याज दरों में कमी की जाती है, तो:

  • होम लोन और ऑटो लोन की ईएमआई घट सकती है।

  • व्यक्तिगत और बिज़नेस लोन लेना आसान होगा।

  • बचत खाते और एफडी पर ब्याज दरों में थोड़ी कमी आ सकती है, लेकिन निवेश के नए अवसर खुलेंगे।

अर्थशास्त्रियों की राय

आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम देश की अर्थव्यवस्था को गति देने में सहायक होगा। एचडीएफसी बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री अरविंद सिंह ने कहा, "रेपो रेट कटौती से उपभोक्ता खर्च बढ़ेगा, जिससे बाजार में मांग बढ़ेगी और औद्योगिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा।" वहीं कुछ विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि बैंकिंग सेक्टर को इस फैसले से अपने मार्जिन में कुछ गिरावट झेलनी पड़ सकती है।

सरकार की प्रतिक्रिया

केंद्र सरकार ने आरबीआई के इस फैसले का स्वागत किया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, "यह कदम अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक है। इससे बुनियादी ढांचे, निर्माण और अन्य क्षेत्रों को फायदा होगा। साथ ही, छोटे व्यापारियों और किसानों के लिए भी यह राहत की बात है।"

भविष्य की संभावनाएं

विशेषज्ञों के अनुसार, यदि महंगाई दर नियंत्रण में रहती है और वैश्विक आर्थिक परिस्थितियां स्थिर रहती हैं, तो आरबीआई आगे भी दरों में कटौती कर सकता है। इससे देश में उपभोक्ता खर्च बढ़ेगा, जिससे आर्थिक सुधार को गति मिलेगी।

निष्कर्ष

आरबीआई द्वारा रेपो रेट में 0.25% की कटौती भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक सकारात्मक संकेत है। इससे लोन लेने वालों को राहत मिलेगी, उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा और शेयर बाजार में सुधार देखने को मिल सकता है। हालांकि, बैंकों को अपनी ब्याज दरों में कटौती करने में थोड़ा समय लग सकता है, लेकिन आने वाले महीनों में इसका सकारात्मक प्रभाव निश्चित रूप से दिखाई देगा।

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