नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार ने राज्यों को मिलने वाले संघीय कर के हिस्से में कटौती करने का प्रस्ताव रखा है। यह प्रस्ताव 2026 से लागू किया जा सकता है, जिसमें राज्यों का हिस्सा मौजूदा 41% से घटाकर कम से कम 40% किया जा सकता है। इस फैसले से केंद्र सरकार को सालाना लगभग ₹350 अरब की अतिरिक्त राजस्व वृद्धि की उम्मीद है।
क्या है प्रस्ताव?
केंद्र सरकार ने राज्यों को संघीय कर राजस्व में मिलने वाले हिस्से को कम करने की योजना बनाई है। वर्तमान में राज्यों को कुल संघीय कर राजस्व का 41% हिस्सा दिया जाता है, लेकिन इस प्रस्ताव के तहत यह हिस्सा घटाकर 40% या उससे कम किया जा सकता है।
क्यों लिया गया यह फैसला?
सूत्रों के मुताबिक, केंद्र सरकार इस कदम के जरिए अपनी राजस्व वृद्धि को मजबूत करना चाहती है ताकि बुनियादी ढांचे, रक्षा और सामाजिक कल्याण योजनाओं में अधिक निवेश किया जा सके। इससे केंद्र सरकार को लगभग ₹350 अरब अतिरिक्त राजस्व प्राप्त होने की संभावना है।
राज्यों पर असर
अगर यह प्रस्ताव लागू होता है, तो इससे राज्यों की वित्तीय स्थिति पर बड़ा असर पड़ सकता है। कई राज्यों की सरकारें पहले ही राजस्व की कमी और बढ़ते खर्च का सामना कर रही हैं। ऐसे में टैक्स शेयर में कटौती से राज्यों की विकास योजनाएं प्रभावित हो सकती हैं।
समीक्षा और अनुमोदन
इस प्रस्ताव की समीक्षा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट द्वारा मार्च के अंत तक की जाएगी। इसके बाद अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
विपक्ष की प्रतिक्रिया
विपक्षी दलों ने इस प्रस्ताव की आलोचना की है और इसे राज्यों के अधिकारों के खिलाफ बताया है। कई नेताओं ने कहा है कि इससे संघीय ढांचे को नुकसान पहुंचेगा और राज्यों की स्वायत्तता पर असर पड़ेगा।
निष्कर्ष
राज्यों के टैक्स शेयर में कटौती का यह प्रस्ताव देश के वित्तीय संतुलन को प्रभावित कर सकता है। केंद्र सरकार के इस फैसले से राज्यों की वित्तीय योजनाओं पर बड़ा असर पड़ सकता है। हालांकि, सरकार का दावा है कि इस कदम से राष्ट्रीय विकास योजनाओं को बढ़ावा मिलेगा।
