लंदन, 12 फरवरी 2025 – ब्रिटेन के प्रधानमंत्री सर कीर स्टारमर ने कहा है कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) द्वारा समाचार संगठनों की सामग्री के उपयोग के बदले मीडिया कंपनियों को उचित मुआवजा मिलना चाहिए। उन्होंने मीडिया और रचनात्मक उद्योगों को अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा बताते हुए कहा कि यह आवश्यक है कि प्रकाशकों को उनकी सामग्री पर नियंत्रण मिले और इसके लिए उन्हें उचित भुगतान किया जाए।
मीडिया की आय पर खतरा
आज की डिजिटल दुनिया में एआई का प्रभाव तेजी से बढ़ रहा है। विभिन्न तकनीकी कंपनियां समाचार संगठनों की रिपोर्टों, लेखों और अन्य मीडिया सामग्री का उपयोग कर अपनी एआई प्रणालियों को प्रशिक्षित कर रही हैं। इसके परिणामस्वरूप, पारंपरिक मीडिया हाउसों की आय और उनके कंटेंट के मूल्य पर खतरा मंडराने लगा है।
स्टारमर ने कहा, "पत्रकारिता और मीडिया का भविष्य सुरक्षित रखने के लिए यह आवश्यक है कि समाचार संगठनों को उनके कार्य के लिए भुगतान किया जाए। यदि एआई उनकी सामग्री का उपयोग कर रहा है, तो इसका लाभ केवल तकनीकी कंपनियों को नहीं बल्कि मीडिया संगठनों को भी मिलना चाहिए।"
एआई और कॉपीराइट विवाद
एआई टेक्नोलॉजी में तेजी से वृद्धि के कारण कॉपीराइट से जुड़े विवाद भी बढ़ रहे हैं। कई मीडिया कंपनियां पहले ही बड़ी टेक फर्मों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की योजना बना रही हैं। उनका दावा है कि बिना अनुमति के उनकी रिपोर्टों और लेखों का उपयोग किया जा रहा है, जिससे उनका राजस्व प्रभावित हो रहा है।
मीडिया विशेषज्ञों का मानना है कि यदि सरकारें इस मुद्दे पर स्पष्ट नियम नहीं बनाती हैं, तो भविष्य में स्वतंत्र और निष्पक्ष पत्रकारिता को बड़ा नुकसान हो सकता है।
वैश्विक परिदृश्य
केवल ब्रिटेन ही नहीं, बल्कि अन्य देशों में भी यह बहस तेज हो रही है। यूरोपीय संघ पहले ही डिजिटल सर्विसेज एक्ट और डिजिटल मार्केट्स एक्ट जैसे कानूनों को लागू कर चुका है, जो तकनीकी कंपनियों को मीडिया संगठनों के साथ निष्पक्ष व्यवहार करने के लिए बाध्य करते हैं।
कनाडा ने भी हाल ही में एक नया कानून पास किया है, जिसके तहत टेक कंपनियों को समाचार सामग्री का उपयोग करने पर स्थानीय मीडिया संगठनों को भुगतान करना होगा।
भारत में क्या स्थिति है?
भारत में भी समाचार संगठनों और डिजिटल प्लेटफार्मों के बीच संघर्ष बढ़ रहा है। कई प्रमुख मीडिया हाउस यह मांग कर चुके हैं कि गूगल, फेसबुक और अन्य डिजिटल कंपनियों को उनकी समाचार सामग्री के लिए भुगतान करना चाहिए।
सूत्रों के अनुसार, भारतीय सरकार भी इस दिशा में नीति तैयार करने पर विचार कर रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि जल्द ही ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले समय में पारंपरिक मीडिया संगठनों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है।
समाधान क्या हो सकता है?
विशेषज्ञों का मानना है कि इस समस्या का समाधान निम्नलिखित तरीकों से किया जा सकता है:
- नए कानूनों की आवश्यकता – सरकारों को ऐसे सख्त कानून बनाने चाहिए जो एआई कंपनियों को समाचार सामग्री के लिए उचित भुगतान करने के लिए बाध्य करें।
- मीडिया और टेक कंपनियों के बीच साझेदारी – दोनों पक्षों के बीच राजस्व साझा करने के लिए समझौते किए जा सकते हैं।
- कॉपीराइट सुरक्षा में सुधार – डिजिटल मीडिया के लिए कॉपीराइट कानूनों को और अधिक मजबूत बनाने की जरूरत है।
- यूजर्स को जागरूक करना – लोगों को यह समझाना आवश्यक है कि स्वतंत्र पत्रकारिता का अस्तित्व बनाए रखने के लिए मीडिया संस्थानों को समर्थन देना जरूरी है।
निष्कर्ष
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर की इस पहल से यह स्पष्ट हो गया है कि एआई के बढ़ते प्रभाव के साथ ही पारंपरिक मीडिया की रक्षा करना अनिवार्य हो गया है। यदि टेक कंपनियों और सरकारों के बीच उचित संतुलन नहीं बनाया गया, तो आने वाले वर्षों में स्वतंत्र पत्रकारिता गंभीर संकट का सामना कर सकती है।
इसलिए, यह समय की मांग है कि सरकारें और टेक कंपनियां मिलकर ऐसे समाधान निकालें, जिससे सभी पक्षों को लाभ हो और लोकतंत्र के चौथे स्तंभ – पत्रकारिता – को सुरक्षित रखा जा सके।
