New Income Tax Bill 1 अप्रैल 2026 से होगा लागू – जानिए प्रमुख बदलाव

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सरकार ने बहुप्रतीक्षित आयकर विधेयक, 2025 की प्रति जारी कर दी है। इसे 13 फरवरी को संसद में पेश किए जाने की संभावना है। यह विधेयक कर कानूनों को सरल बनाने और अनुपालन संरचना को आधुनिक बनाने का लक्ष्य रखता है। नए विधेयक में 23 अध्याय, 16 अनुसूचियां और 536 प्रावधान शामिल हैं, जो कर व्यवस्था के विभिन्न पहलुओं को कवर करते हैं।


प्रमुख बदलाव

  • सरल शब्दावली: ‘आकलन वर्ष’ (Assessment Year) को ‘कर वर्ष’ (Tax Year) और ‘पिछला वर्ष’ (Previous Year) को ‘वित्तीय वर्ष’ (Financial Year) के रूप में बदला गया है।
  • डिजिटल लेन-देन और क्रिप्टोकरेंसी: नए विधेयक में डिजिटल लेन-देन और क्रिप्टो एसेट्स की परिभाषा को विस्तारित किया गया है।
  • वित्तीय कंपनियां: ‘वित्तीय कंपनियों’ (Finance Companies) और ‘वित्तीय इकाइयों’ (Finance Units) के संदर्भ में लाभांश (Dividend) से जुड़े नए प्रावधान शामिल किए गए हैं।
  • करदाता अधिकार पत्र: एक नया Taxpayer’s Charter पेश किया गया है, जो करदाताओं के अधिकारों की सुरक्षा और पारदर्शिता बढ़ाने पर केंद्रित होगा।
  • विदेशी कंपनियों पर कर नियम: नया विधेयक विदेशी कंपनियों को भारतीय निवासी घोषित कर सकता है, जिससे उनकी कर देनदारी प्रभावित हो सकती है।

नए कर स्लैब (2026 से लागू होने वाले)

  • ₹4,00,000 तक – कोई कर नहीं
  • ₹4,00,001 - ₹8,00,000 – 5% कर
  • ₹8,00,001 - ₹12,00,000 – 10% कर
  • ₹12,00,001 - ₹16,00,000 – 15% कर
  • ₹16,00,001 - ₹20,00,000 – 20% कर
  • ₹20,00,001 - ₹24,00,000 – 25% कर
  • ₹24,00,000 से अधिक – 30% कर

वेतन में कटौती (Salary Deductions)

  • पुरानी कर व्यवस्था के तहत, कर्मचारी ₹50,000 की स्टैंडर्ड डिडक्शन या वेतन की न्यूनतम राशि का दावा कर सकते हैं।
  • अनुच्छेद 276(2) के तहत, रोजगार पर भुगतान किए गए कर को पूरी तरह से कटौती के रूप में स्वीकार किया जाएगा।

पेंशन समायोजन (Pension Commutation)

  • केंद्र सरकार की सिविल पेंशन (समायोजन) नियमावली या अन्य सरकारी सेवाओं, सिविल सेवाओं और रक्षा पेंशन योजनाओं के तहत पेंशन समायोजन को पूरी तरह से कर-मुक्त रखा गया है।

निष्कर्ष
यह नया आयकर विधेयक कर प्रणाली को अधिक पारदर्शी और आधुनिक बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। संसद में पारित होने के बाद, यह 1 अप्रैल 2026 से प्रभावी होगा, जिससे देश की कराधान नीति में व्यापक बदलाव देखने को मिलेंगे।

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