हर साल 8 मार्च को दुनियाभर में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। यह दिन महिलाओं के संघर्ष, उपलब्धियों और समाज में उनके महत्वपूर्ण योगदान को सम्मान देने के लिए समर्पित है। इस वर्ष भी, विश्वभर में इस विशेष दिवस को बड़े उत्साह के साथ मनाया जा रहा है, जिसका उद्देश्य लैंगिक समानता को बढ़ावा देना और महिलाओं को सशक्त बनाना है।
महिला दिवस का इतिहास
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की शुरुआत 1909 में अमेरिका में हुई थी, लेकिन 1917 में रूस की महिलाओं ने समान अधिकारों के लिए संघर्ष करते हुए इसे एक ऐतिहासिक पहचान दी। 1977 में संयुक्त राष्ट्र ने इसे आधिकारिक रूप से मान्यता दी और तब से यह दिवस वैश्विक स्तर पर मनाया जाता है।
2025 की थीम: "सशक्त नारी, उज्ज्वल भविष्य"
इस साल की थीम "सशक्त नारी, उज्ज्वल भविष्य" (Empowered Women, Brighter Future) रखी गई है, जो महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने और उनके अधिकारों को सुरक्षित करने पर जोर देती है।
महिला सशक्तिकरण की दिशा में पहल
आज के दौर में महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज करा रही हैं। विज्ञान, राजनीति, खेल, व्यापार और मनोरंजन—हर क्षेत्र में महिलाएं नई ऊंचाइयों को छू रही हैं। भारत और दुनिया में कई योजनाएं और कानून महिलाओं की सुरक्षा और समानता को सुनिश्चित करने के लिए बनाए गए हैं, जैसे कि—
- बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना
- महिला आरक्षण बिल
- कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न रोकथाम अधिनियम
महिला दिवस के आयोजन
इस अवसर पर कई देशों में महिला सम्मान समारोह, रैलियां, सेमिनार और जागरूकता अभियानों का आयोजन किया जाता है। स्कूलों, कॉलेजों और कार्यस्थलों पर महिलाओं की उपलब्धियों को सम्मानित किया जाता है।
निष्कर्ष
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस सिर्फ एक दिन का उत्सव नहीं, बल्कि महिलाओं के अधिकारों और समानता के लिए निरंतर प्रयास करने की प्रेरणा है। हर व्यक्ति को इस मिशन में योगदान देना चाहिए ताकि समाज में महिलाओं को वह स्थान मिले, जिसकी वे हकदार हैं। नारी शक्ति को सशक्त बनाकर ही एक विकसित और खुशहाल समाज की नींव रखी जा सकती है।
"नारी का सम्मान, समाज का उत्थान!"
